चुनाव आयोग (ECI) ने वोटरों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 2003 की मतदाता सूची में नाम खोजने की प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया है। पहले मतदाताओं को अपना नाम ढूंढने के लिए विधानसभा क्षेत्र, पार्ट नंबर, पोलिंग स्टेशन और कई अन्य जानकारियों को भरना पड़ता था, जिसके कारण अनेक लोगों को अपनी जानकारी खोजने में परेशानी होती थी। लेकिन अब आयोग ने तकनीक और प्रक्रिया में सुधार करते हुए इस काम को बेहद आसान बना दिया है। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अब कोई भी मतदाता केवल अपना नाम, राज्य और माता-पिता में से किसी एक का नाम दर्ज करके तुरंत जान सकेगा कि 2003 की मतदाता सूची में उसका नाम किस स्थान पर मौजूद है। इससे न केवल खोज प्रक्रिया में तेजी आएगी बल्कि उन लोगों को भी राहत मिलेगी जिन्हें पहले जटिल विवरण भरने के कारण कठिनाई होती थी।
चुनाव आयोग ने यह बदलाव 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए लागू किया है। SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक, अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना है। आयोग लगातार कोशिश कर रहा है कि मतदाता सूची से जुड़ी सभी सेवाएँ सरल, सहज और डिजिटल रूप से सुलभ हों, ताकि अधिक से अधिक लोग सक्रिय रूप से चुनावी प्रक्रिया से जुड़ सकें। इस नई सुविधा के बाद मतदाता न्यू voters list से लेकर पुराने रिकॉर्ड तक आसानी से अपनी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिससे कई तरह की त्रुटियों और दिक्कतों से छुटकारा मिलेगा।
चुनाव आयोग का दावा है कि आने वाले समय में माता-पिता का नाम दर्ज करने की आवश्यकता भी समाप्त कर दी जाएगी। आयोग का उद्देश्य है कि मतदाता केवल अपने नाम और राज्य की जानकारी डालकर ही पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें। इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जिनके माता-पिता के नाम में वर्षों पहले हुई छोटी-मोटी त्रुटियाँ आज भी समस्याएँ पैदा करती हैं। इसके अलावा, आयोग यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि वेबसाइट पर दी जाने वाली जानकारी त्वरित, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो, ताकि वोटर बिना किसी तकनीकी बाधा के अपना विवरण निकाल सकें।
इस कदम से चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान प्रक्रिया को आधुनिक, सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। डिजिटल इंडिया के दौर में यह पहल न केवल समय की बचत करेगी बल्कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को भी लाभ पहुंचाएगी, जो अक्सर मतदाता सूची से जुड़ी जानकारी के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर होते थे। अब हर कोई अपने घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से ही कुछ सेकंड में अपने नाम की स्थिति जान सकेगा। आयोग की यह पहल लोकतांत्रिक प्रणाली को और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी, क्योंकि सही और अपडेटेड मतदाता सूची ही निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की नींव होती है।
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