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Saturday, November 22, 2025

महाराष्ट्र में नया सरकारी आदेश: विधायकों-सांसदों के सम्मान को लेकर अधिकारियों के लिए सख्त दिशानिर्देश

 




महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों को विधायकों और सांसदों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। नए निर्देशों के अनुसार जब कोई विधायक या सांसद किसी सरकारी कार्यालय में आता है, तो वहां तैनात अधिकारी को अपनी सीट से उठकर उनका स्वागत करना अनिवार्य होगा। अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों की बात को गंभीरता से सुनने, उनके सुझावों पर सकारात्मक रवैया रखने और पूरी विनम्रता के साथ जवाब देने के लिए भी कहा गया है। सरकार का कहना है कि इन निर्देशों का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच तालमेल को मजबूत करना है, ताकि विकास कार्यों में अनावश्यक देरी और टकराव को रोका जा सके। आदेश में यह भी साफ किया गया है कि किसी भी अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधियों के साथ असभ्य या उपेक्षापूर्ण व्यवहार को अनुशासनहीनता माना जाएगा और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। कई मामलों में यह शिकायत सामने आती रही है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों से सही ढंग से संवाद नहीं करते या उनकी उपस्थिति में उदासीन बने रहते हैं, जिससे कामकाज प्रभावित होता है। सरकार का मानना है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता की आवाज होते हैं,


इसलिए उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार प्रशासनिक व्यवस्था की बुनियादी आवश्यकता है। नया आदेश इस बात पर भी जोर देता है कि जब कोई विधायक या सांसद किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए अधिकारी से मिलता है, तो अधिकारी को पूरा समय देकर उनकी बात सुननी चाहिए। किसी भी प्रकार की बहस, कटाक्ष, असहमति या निर्देश की अवहेलना को अनुचित आचरण माना जाएगा। इसके अलावा, अधिकारियों को यह भी ध्यान रखने को कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति के दौरान उनके अधीनस्थ कर्मचारी भी उचित व्यवहार और अनुशासन का पालन करें। सरकार का यह कदम राज्य की नौकरशाही और राजनीति के बीच वर्षों से चली आ रही तनावपूर्ण दूरी को कम करने की कोशिश समझा जा रहा है। हालांकि यह आदेश सामने आते ही विभिन्न प्रतिक्रियाएँ भी देखने को मिली हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक और आवश्यक बताते हुए कहते हैं कि इससे विकास योजनाओं की गति बढ़ेगी, वहीं कुछ इसे राजनीतिक दबाव बढ़ाने का तरीका मानते हैं। प्रशासनिक संगठनों के कुछ सदस्यों ने यह तर्क दिया है कि सम्मान दो-तरफ़ा होना चाहिए और अधिकारियों को भी गरिमा के साथ काम करने का अधिकार है। इसके बावजूद सरकार का कहना है कि यह आदेश सिर्फ पारस्परिक सम्मान और बेहतर समन्वय के लिए है, न कि किसी तरह की अधीनता थोपने के लिए। कुल मिलाकर, महाराष्ट्र सरकार का नया निर्देश प्रशासन और राजनीति के बीच कार्य संस्कृति को सुचारू बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि जनता से जुड़े मुद्दों का निपटारा पहले से ज्यादा तीव्र और प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

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