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Thursday, November 20, 2025

UNSC में सुधार की बहस तेज, भारत को वीटो के साथ स्थायी सदस्यता मिलने के संकेत





संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बड़े सुधार की चर्चाएं एक बार फिर जोर पकड़ रही हैं। गठन के 80 साल बाद पहली बार इतने व्यापक ढांचे में बदलाव की गंभीर सुगबुगाहट देखी जा रही है। बुधवार को UNSC में रिफॉर्म नामक डिबेट की शुरुआत हुई, जिसमें सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्ट्रक्चर और शक्तियों में बदलाव को लेकर अपने-अपने सुझाव और तर्क प्रस्तुत किए। इस बहस का मुख्य फोकस सुरक्षा परिषद की संरचना को अधिक प्रतिनिधित्वयुक्त, पारदर्शी और समय के अनुरूप बनाना है। यह चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कई विशेषज्ञों और कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, अगर सभी देशों के बीच सहमति बनती है, तो भारत को न केवल स्थायी सदस्यता बल्कि वीटो पावर भी मिल सकती है। भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग कर रहा है, क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति, तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था, शांति मिशनों में निरंतर योगदान और वैश्विक कूटनीति में बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारत को अभी तक स्थायी सीट नहीं मिली है। 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ था, तब दुनिया की राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियां पूरी तरह अलग थीं। उसी समय के आधार पर सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना तय की गई थी, जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन स्थायी सदस्य बनाए गए। इसके अलावा 10 सदस्य अस्थायी रूप से चुने जाते हैं। वर्तमान समय में उभरती वैश्विक चुनौतियों—जैसे आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, आर्थिक असंतुलन और बहुध्रुवीय विश्व—के बीच यह मांग लगातार उठ रही है कि UNSC को मौजूदा दौर के हिसाब से बदला जाए।


UNSC से निकले 3 बड़े संकेत

ब्रिटेन-रूस के बाद फ्रांस का सपोर्ट: भारत को यूनाइटेड नेशन की सदस्यता मिलनी चाहिए. इसकी पैरवी ब्रिटेन और रूस करता रहा है. अब फ्रांस ने इसकी घोषणा की है. फ्रांस ने कहा है कि वीटो पावर के साथ भारत को स्थाई सदस्यता मिलनी चाहिए. फ्रांस ने इसको लेकर यूएनएससी रिफॉर्म की बैठक में भी बयान दिया है. भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का पहला सबसे बड़ा देश है.फ्रांस के दूत ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा रूख साफ है. हम 2 अफ्रीकी देशों को स्थाई सदस्यता दिलाना चाहते हैं. इसी तरह ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान को भी एक-एक सीट मिलनी चाहिए. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर इन देशों की जिम्मेदारियां हैं. चीन ने नहीं किया सीधा विरोध: UNSC रिफॉर्म पर चीन ने भी अपना पक्ष रखा है. चीन की तरफ से यूएन की स्थाई दूत ने बयान दिया है. चीन ने इस बैठक में भारत का विरोध नहीं किया है. चीन ने जी-4 के सिर्फ जापान का विरोध किया है. चीन का कहना है कि जापान जिस तरीके से ताइवान के मुद्दे पर मुखर है, उससे यह साबित होता है कि जापान यूएन की स्थाई सदस्यता मांगने का कोई अधिकार नहीं रखता है.चीन ने जापान पर शांति भंग करने का आरोप लगाया है. चीन ने कहा है कि जापान को अगर सदस्यता देने की कोशिश हुई तो हम इसका खुलकर विरोध करेंगे. आईजीएन की प्रक्रिया फिर से शुरू: यूनाइटेड नेशन में जान फूंकने के लिए अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन इटली और पाकिस्तान जैसे देशों के विरोध की वजह से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई. यूएन ने फिर से इस प्रक्रिया को 17 साल बाद शुरू करने का फैसला किया है.कुवैत के प्रतिनिधि को इसका नेतृत्व सौंपा गया है. सबसे पहले उन 4 देशों की दावेदारी को जांचा जाएगा, जो इसके लिए सक्षम है. यह प्रक्रिया अगर अपने आखिरी मुकाम तक पहुंचती है तो भारत के लिए आगे की राह आसान हो सकती है.


कैसे मिलती है यूएन की स्थाई सदस्यता?

यूएन की स्थाई सदस्यता के लिए उसके चार्टर में संसोधन करना होता है. इसके लिए अनुच्छेद 108 और अनुच्छेद 109 का इस्तेमाल किया जाता है. यूएन की स्थाई सदस्यता अगर किसी देश को मिलनी है तो उसे 2 मोर्चों पर पास होना होगा.


1. अनुच्छेद 109 के तहत उसे वर्तमान के सभी स्थाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो. इस वक्त 5 स्थाई सदस्य (चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस) है. इसमें से अगर कोई देश वीटो नहीं करता है तो संबंधित देश स्थाई सदस्यता के लिए योग्य माना जाता है.


2. अनुच्छेद 108 के तहत स्थाई सदस्यता का प्रस्ताव यूएन जनरल असेंबली में रखा जाता है, जहां पर 2 तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है. वर्तमान में 193 देश यूएन के सदस्य हैं. यानी 145 देशों का समर्थन जरूरी है.

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