जिला ब्यूरो चीफ संदीप दीक्षित
जसपुरा (बांदा)। ब्लाक जसपुरा के अंतर्गत आने वाले 23 मजरे पिछले 132 घंटों से बिजली के लिए तरस रहे हैं। नाँदादेव, शंकरपुरवा, अमारा, बरेहटा,कस्बा जसपुरा सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का पानी लोगों की जिंदगी में अंधेरा ले आया है। घरों में बिजली नहीं, राहत सामग्री नहीं और जमीनी मदद का नामोनिशान नहीं है।
बाढ़ का पानी बना जहरीले कीड़ों का रास्ता ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ का पानी घरों में घुसने के साथ ही जहरीले कीड़ों, सांपों और बिच्छुओं का खतरा भी बढ़ा है। कई लोग रातें जागकर काट रहे हैं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नाँदादेव गांव के ग्राम प्रधान रोहित निषाद व सुरेश निषाद ने बताया कि बाढ़ से गांव के तीस घर डूब चुके हैं, जिनमें से करीब दस पूरी तरह गिर चुके हैं। इन घरों में रहने वाले राजकुमार पुत्र विजयपाल, जगनायक पुत्र समलिया, देवीदीन पुत्र शंकर, प्रताप पुत्र मुलुवा, शिरोमणी पुत्र शिवपाल, रामबहादुर पुत्र चन्ना, बनवारी पुत्र सीताराम प्रजापति, खिलावन प्रजापति, कामता पुत्र जगदेव निषाद, शिवबरन पुत्र गज्जा वर्मा, रामप्यारी पत्नी सुराजी, विजय पुत्र कुशवाहा, बंशीलाल पुत्र अभिलाख खेगर, ढुल्लू बाल्मीकि, रामरूप पुत्र रामौतार, पृथ्वी पाल पुत्र जयपाल, रामबालक पुत्र गजराज निषाद, लल्लू पुत्र शिवनाथ वर्मा, छोटेलाल पुत्र सुखराम, बासदेव पुत्र रामप्रसाद, इंद्रपाल पुत्र शिवराम, विजय पाल पुत्र समलिया सहित कई परिवार बेघर हो चुके हैं।
गजराज डेरा समेत कई इलाकों से पलायन, कुछ लोग दूसरों के घरों में शरण लिए बाढ़ की भयावहता के चलते नाँदादेव के कई परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं। कुछ पीड़ित आसपास के लोगों के घरों में शरण लिए हुए हैं। इन लोगों का आरोप है कि अब तक प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की राहत सामग्री या किट नहीं पहुंचाई गई। शंकरपुरवा में मिली राहत, लेकिन हालात अभी भी बदतर सिर्फ शंकरपुरवा गांव में कुछ राहत सामग्री पहुंची है, लेकिन वहां भी कुछ लोग खुले में प्लास्टिक की चादरों के सहारे गुजारा कर रहे हैं। अमारा गांव में भी हालात बेहद खराब हैं, ग्राम प्रधान अशोक कुमार अमारा ने बताया कि यहां एक दर्जन से ज्यादा मकान पूरी तरह से डूब चुके हैं और कई गिर चुके हैं। बिजली गुल, पानी में फंसे हालात दृ सवालों के घेरे में प्रशासन बाढ़ से प्रभावित पूरे क्षेत्र में बिजली पूरी तरह गुल है। 132 घंटे से अधिक समय से ग्रामीण अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। वहीं राहत और बचाव के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई होती दिख रही है। ग्रामीणों की गुहार दृ जल्द मिले राहत प्रभावित गांवों के लोग प्रशासन से जल्द से जल्द राहत सामग्री, बिजली और सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। अगर समय रहते मदद नहीं पहुंचाई गई तो हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं।
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